जांजगीर-चांपा

बिर्रा में शरद संगीत समारोह सम्पन्न

बिर्रा। गुरुघासीदास संगीत महाविद्यालय हसौद (सक्ती) का 28वां वार्षिकोत्सव शरद संगीत समारोह बिर्रा (जांजगीर-चांपा) के हृदय स्थल राज महल प्रांगण में शरद पूर्णिमा को सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि पं०गीताराम तिवारी (भागवताचार्य), अध्यक्षता बनवारी लाल कश्यप (से नि अनु.अधिकारी), पं०दीलिप पाण्डेय (भागवताचार्य), के आर कश्यप (प्राचार्य, गुरुघासीदास संगीत महाविद्यालय), फिरतु राम गुप्ता के आतिथ्य में हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ माई भगवती शारदा, गुरुदेव एम बी रोकड़े एवं माँ भारती के तैलचित्र पर पूजन अर्चन दीप प्रज्वलित कर किया गया। मंत्रोच्चार पं०जितेंद्र कृष्ण तिवारी द्वारा किया गया। पं. गीताराम तिवारी ने कहा कि वाल्मीकि पहले डाकू थे, परन्तु नारद जी की कृपा से उल्टा नाम जपकर ब्रह्म समान हो गए। दिलीप पाण्डेय ने कहा कि वाल्मीकि जी आदि कवि हैं उनके पूर्व कोई कवि नहीं हुआ। बनवारी लाल कश्यक ने कहा कि वाल्मीकि न केवल बल्कि ज्योतिष, व खगोल शास्त्र के भी परम् विद्यावान थे।

प्रथम प्रस्तुति के रूप में संस्कार भारती ध्येय गीत “साध्यति संस्कार भारती”, सरस्वती वंदना एवं गुरुवंदना का मधुर सामुहिक गायन शारदा संगीत विद्यालय बिर्रा के गुरुजनों व विद्यार्थियों द्वारा किया गया। तत्पश्चात सृष्टि कश्यप द्वारा राग यमन प्रस्तुत किया गया। तबला संगत श्रवण थवाईत द्वारा किया गया। हिमेश कश्यप द्वारा राग भैरव की प्रस्तुति दी गई। पं०प्रवीण तिवारी द्वारा राग दरबारी कान्हड़ा में बनारस घराने की सुप्रसिद्ध बंदिश “किन बैरन कान भरे” का स्वतंत्र गायन तथा राग मिश्र पीलू में ठुमरी “जमुना किनारे मेरो गांव”की मधुर प्रस्तुति दी गई। हारमोनियम संगत जयंत कश्यप तथा तबला संगत सन्तोष कश्यप द्वारा किया गया। पायल डड़सेना द्वारा राग यमन प्रस्तुत किया गया। तबला संगत संतोष कश्यप द्वारा किया गया। पं०आयुष्मान शर्मा द्वारा पुरिया धनाश्री की सुप्रसिद्ध बंदिश “पायलिया झनकार मोरी” प्रस्तुत किया गया। जिसमें तबला संगत नीलू श्रीवास द्वारा किया गया। दुर्गेश कहार, विजय कहार द्वारा शास्त्रिय संगीत का सुंदर युगल गायन प्रस्तुत किया गया। तबला संगत छोटेलाल पटेल द्वारा किया गया। कु.अंजली नंदनी द्वारा राग कलावती पर युगल गायन प्रस्तुत किया गया। खुशाल साहू एवं युवराज लहरे के द्वारा युगल तबला सोलो प्रस्तुत किया गया। रामचरण कश्यप द्वारा ग़ज़ल की मधुर प्रस्तुति दी गई। तबला संगत संतोष कश्यप द्वारा किया गया। तत्पश्चात द्वितीय सत्र प्रारम्भ किया गया।

द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में बालेश्वर साहू (विधायक, जैजैपुर), अध्यक्षता गगन जयपुरिया (सभापति, जिला पंचायत जांजगीर-चाम्पा), विशिष्ट अतिथि गोपी सिंह ठाकुर (जिला उपाध्यक्ष, भाजपा), मोहन कुमारी साहू (प्रदेश उपाध्यक्ष साहू समाज), पीलीबाई एकादशिया साहू (जनपद सदस्य), रितेश रमण सिंह (राजमहल बिर्रा), चेतन प्रताप सिंह (राजमहल बिर्रा), पीयूष देव सिंह (राजमहल बिर्रा), डॉ.शुभम शुक्ला (संचालक, शुक्ला हेल्थ केयर हास्पिटल), मणिलाल कश्यप (सामाजिक कार्यकर्ता), ओमप्रकाश शर्मा (भागवताचार्य), एच एल भारती (प्राचार्य), एकादशियां साहू (सामाजिक कार्यकर्ता), हरिराम जायसवाल सहायक परियोजना अधिकारी, बसंत देवांगन प्राचार्य के आतिथ्य हुआ।

शुभारंभ माँ वीणापाणि, माँ भारती व गुरुदेव रोकड़े जी के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलन से हुआ। मंत्रोचार पं गीताराम तिवारी द्वारा किया गया। समस्त अतिथियों का स्वागत शाल श्रीफल व पुष्पहार  प्रतीक चिन्ह से किया गया। रितेश रमण सिंह ने कहा कि “गुरू घासीदास संगीत महाविद्यालय हसौद हमारे अंचल में संगीत को जीवित रखा है, यह निरंतर प्रगति कर रहा है औऱ इससे जुड़ना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। श्रीमती मोहन कुमारी साहू ने कहा कि “आज सारा अंचल संगीत मय होता जा रहा है, उसका एकमात्र करण गुरुघासीदास संगीत महाविद्यालय है। अध्यक्षता कर रहे गगन जयपुरिया ने कहा कि “गुरूघासीदास संगीत महाविद्यालय अनवरत 28 वर्षो से संगीत की सेवा में लगा है, यह सिर्फ ओर सिर्फ माँ शारदा और गुरुदेव रोकड़े जी के आशीर्वाद का परिणाम है। मुख्य अतिथि बालेश्वर साहू ने कहा “संगीत के विकास, प्रचार, विस्तार और जनजन को संगीत मय करने के लिए गुरुघासीदास संगीत महाविद्यालय कटिबद्ध है। इस बलिवेदी पर हम कुछ दे सकें तो ये हमारा परम् सौभाग्य होगा। साथ ही विधायक जी ने गुरु घासीदास संगीत महाविद्यालय हसौद भवन निर्माण के लिए 10 लाख रुपये देने की घोषणा की। इसके पूर्व भी वे शारदा संगीत विद्यालय बिर्रा के उत्तरोत्तर विकास के लिए ढाई लाख रुपये की वाद्य यंत्र खरीदने की स्वीकृति प्रदान कर चुके है। उनकी इस उदघोषणा से पूरे अंचल तथा संगीत परिवार में खुशी ब्यासप्त हो गया।

प्रथम प्रस्तुति के रूप में अंकित, भावना, कमलेश चौहान के द्वारा लोकगीत, सुवा गीत आदि प्रस्तुत किया गया। तबला संगत कमलेश चौहान द्वारा किया गया। श्याम लाल चौहान द्वारा ग़ज़ल “हंगामा है क्यो बरफ़ा” एवं राग अहीर भैरव प्रस्तुत किया गया। तबला संगत कमलेश्वर चौहान एवं वायलिन संगत राजेन्द्र विश्वकर्मा द्वारा किया गया। राजेन्द्र विश्वकर्मा द्वारा वायलिन मे “कौन दिशा मे लेके” प्रस्तुत किया गया। कत्थक में डॉ.गुंजन तिवारी, साक्षी सिंह, हिमाश्री शर्मा, साराक्षी सक्सेना, गौतम दास द्वारा भाव नृत्य, एवं ताल नृत्य पर शास्त्रीय कत्थक (तीनताल पर), द्रौपदी चीर हरण आदि प्रस्तुत किया गया। हारमोनियम संगत रौशन कुमार, लालाराम नोनिया तबला संगत दीपक दास महंत एवं सितार संगत इक्षेश सेठिया द्वारा किया गया। इक्षेश सेठिया द्वारा सितार वादन की सुंदर मधुर प्रस्तुति दी गई। कु.भावना चौहान द्वारा तबला सोलो वादन प्रस्तुत किया गया। चैतन्य जोगलेकर द्वारा राग जोगकौंश बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल ठुमरी तथा भैरवी मे भजन प्रस्तुत किया गया। तबला संगत दीपक महंत द्वारा किया गया। तत्पश्चात श्री अग्रवाल जी के द्वारा बाजे रे मुरलिया बाजे। लक्ष्मी नारायण कुर्रे द्वारा राग बहार प्रस्तुत किया गया। ततपश्चात के आर कश्यप द्वाराशरद पूर्णिमा पर अधारित सुमधुर गीत एवं राग भैरवी में कीर्तन करा कर समापन किया गया। तबला संगत रोशन कश्यप द्वारा किया गया।

आभार प्रदर्शन मनोज तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनोज तिवारी, जितेंद्र तिवारी तथा के आर कश्यप व्दारा किया गया। इस अवसर पर चंदन कश्यप, रेशमलाल कश्यप, दुष्यंत साहू, प्रह्लाद पटेल, लोकेश देवांगन,भागवत नामदेव, विजय कहार, दुर्गेश कहार, फिरतु राम गुप्ता, बहोरन ढीमर, पीताम्बर कश्यप आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker