चोर के साहित्यिक संवेदना

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -संघर्षशील जनकवि अउ लेखक मन खातिर आम लोगन के मन म सम्मान के भाव तो होबेच करथे जी भैरा फेर चोरी चकारी कर के जिनगी जीयइया मन के मन म घलो उंकर मन खातिर श्रद्धा के भाव देखे म आ जाथे.
-जनता के दुख-पीरा अउ अधिकार ल अपन लेखनी के माध्यम ले लोगन तक अमराने वाला मन बर तो सबके मन म सम्मान के भाव होबेच करही जी कोंदा ए तो स्वाभाविक बात आय.
-हव जी अभी एदे बीते 14 जुलाई के महाराष्ट्र के रायगढ़ म एक चोर ह मराठी के मयारुक कवि अउ लेखक रहे नारायण सुर्वे जी के घर ले चोरी कर के कुछ जिनिस मनला लेगे रिहिसे, दूसर दिन जब वोला गम मिलिस के वो तो कवि सुर्वे जी के घर खुसरगे रिहिसे त वो चोर ह वापस सबो जिनिस ल वोकर घर म मढ़ा के आगे अउ संग म एक पाती लिख के उहाँ छोड़ दे रिहिसे जेमा लिखाय रिहिसे के महान लेखक के घर म चोरी करे खातिर वो ह शर्मिंदा हे.