छत्तीसगढ़
डूमर म होथे दुल्हा देव के बासा

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -पेड़ पौधा मन हमर जिनगी के संगे-संग हमर संस्कृति के घलो महत्वपूर्ण अंग आय जी भैरा.
-हव आय न जी कोंदा.. तभे तो हमन आने आने पेड़ म आने आने देवी या देवता के बासा या कहिन निवास घलो मानथन अउ उंकर मान-सम्मान घलो करथन.
-हव जी.. अब डूमर के पेड़ ल ही देख लेवौ एकर बर-बिहाव म कतका महात्तम हे.. मड़वा छाए ले लेके मंगरोहन बनाय अउ दुल्हा दुल्हीन के तेल-हरदी चघे के बेरा बइठे बर बिन खीला के बनाय पिड़हा म घलो एकरेच उपयोग होथे.
-हव जी डूमर के डारा-पाना, लकड़ी सब के उपयोग बिहाव म होथे.
-अइसे लोक मान्यता हे जी संगी के डूमर के पेड़ म दुल्हा देव अउ दुल्हीन देवी के बासा होथे, तेकरे सेती बर-बिहाव म इंकर आशीष छाहित राहय कहिके डूमर के उपयोग करे जाथे.