छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्यौहारों की झलक गांवों में ही : रितेश रमण सिंह

गांव में निकली गई भोजली यात्रा के साथ घनवासागर में विसर्जित
बिर्रा। रक्षाबंधन पर्व के दुसरे दिन देवी स्वरूपा भोजली जिसे हम कजली मैया के नाम से जानते हैं जिसका सप्ताह भर पहले बोया जाता है और प्रतिदिन पूजा अर्चना कर अच्छी फसल की कामना करते हैं। बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बिर्रा में हर साल की तरह शाम 4 बजे से बाजे गाजे के साथ भोजली यात्रा निकाली गई। सभी माताएं बहनें देवी गंगा देवी गंगा लहर तुरंगा गायन करते राजमहल पहूंचे जहां राजमहल की माताएं राजमहल के विशाल आंगन में पूजा अर्चना किए। उसके बाद ग्राम बैगा के साथ यात्रा घनवासागर पहुंची। घनवासागर में धूमधाम से विसर्जित किया जाता है। हर वर्ष की तरह सर्वश्रेष्ठ भोजली को ग्राम पंचायत बिर्रा द्वारा नगद राशि से पुरस्कृत किया जाता है। पुरस्कार वितरण समारोह में राजमहल बिर्रा से विजय बहादुर सिंह, रितेश रमण सिंह, ब्रह्मा प्रसाद पाण्डेय, जितेन्द्र तिवारी, सरपंच प्रतिनिधि नंदलाल चौहान, खगेश्वर चौहान, नरेंद्र यादव, बूंदलाल यादव, परशू पटेल, फिरत सिंह सहित पंचगण उपस्थित थे।
इस अवसर पर राजमहल से छोटू बाबा ने सभी को भोजली पर्व की शुभकामनाएं दी और कहा कि छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति में भोजली पर्व का विशेष महत्व है और यह परंपरा चलती रहे क्योंकि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्यौहारों की झलक गांवों में ही दिखता है। भोजली प्रतियोगिता 2024 का प्रथम विजेता नेहा धीवर, द्वितीय संतोषी यादव, तृतीय लालिमा धीवर को नगद राशि प्रदान किया गया। वहीं अन्य सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र तिवारी ने किया। इस अवसर पर जगराम पटेल, एकादशिया धीवर, राधेश्याम केशरवानी, सुदर्शन वैष्णव, मन्नू पटेल, दरशराम, एकांश पटेल सहित बड़ी संख्या में महिलाएं एवं लोग शामिल होते हैं और एक दुसरे को भोजली देकर शुभकामनाएं दी जाती है।