नख कटा के शहीद बनइया मन जादा हें

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म वइसे तो हजारों लोगन के भागीदारी रहे जी भैरा.. फेर मोला लागथे के एकर खातिर जनजागरण करे म साहित्यकार मन के भूमिका सबले जादा पोठ रहे हे.
-सही आय जी कोंदा.. राजनीति ले जुड़े लोगन तो चुनाव उनाव ल लकठियावत देखय त अलग छत्तीसगढ़ राज्य के गोठ कर देवत रिहिन हें, फेर साहित्यकार मन के तो बारोंमासी इहिच बुता राहय.. अउ ते अउ वो मन तो कवि सम्मेलन अउ साहित्य सम्मेलन के मंच म घलो छत्तीसगढ़ राज्य के गोठ करंय.
-हव जी सही आय, फेर अभी एक अइसे मनखे हे संगी जे ह अपन नॉव के संग छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के भगीरथ लिखथे त मोला बड़ा ताज्जुब लागथे के हमन तो 28 जनवरी 1956 म राजनांदगाँव म डॉ. खूबचंद बघेल के चिंतन मनन ले होय ‘छत्तीसगढ़ी महासभा’ के बइठका अउ गठन ले ही राज्य आन्दोलन के शुरुआत मानथन, त ए नवा भगीरथ कहाँ ले जनम गे?
-जे मनखे के 28 जनवरी 1956 के जनम नइ होय रिहिस होही वो ह ए आन्दोलन/निर्माण के भगीरथ कइसे हो सकथे.. फेर हमर इहाँ तो अइसने नाखून कटा के शहीद के दर्जा पाए के उदिम करइया मन के संख्या जादा हावय ना!