गुरु के आसन म वंशज नहीं, योग्य मनखे होना चाही

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -कतकों मठ, मंदिर अउ पंथ म ए देखे ले मिलथे जी भैरा के गुरु के लइका मन ही उहाँ के नवा गुरु पदवी ल पोगरा लेथें.
-हव कतकों जगा अइसन देखे ले मिलथे जी कोंदा.. फेर कतकों जगा इहू देखे म आथे के उहाँ के गुरु के योग्य शिष्य ल गुरु के आसन म बइठार दिए जाथे.
-हव अइसनो देखब म आथे, अउ मोला लागथे के योग्यता के आधार म गुरु के पदवी ल देना ह जादा बने बात आय.
-सही आय जी.. कर्म के मापदंड म ही अइसन व्यवस्था होना चाही, काबर ते हमन कतकों जगा अइसनो देखे हावन, जेमा कहे बर तो कोनो मनखे ल उहाँ गुरु बना के बइठार दिए जाथे, फेर करम कमई अउ तप जप के माध्यम ले वोला देखबे त वो ह अनफभिक जनाथे.
-सही आय जी.. सिरिफ गुरु के कुल म जनमे ले या उंकर वंशज होय भर म कोनो भी मनखे ह गुरु बने के योग्य नइ हो सकय. खासकर अध्यात्म म तो बिल्कुल नहीं.