जिनगी के सत्य ल लिखना घलो होथे श्रेष्ठ साहित्य

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -श्रेष्ठ साहित्य के श्रेणी म कल्पना के समुंदर म उभुक-चुभुक कूदत लेखक भर मन के रचना ह नइ आवय जी भैरा, भलुक अनगढ़ अपरिपक्व हाथ ले लिखे जिनगी के कटु सत्य मन घलो आथे.
-तोर कहना वाजिब हे जी भैरा, भलुक जिनगी के वास्तविक दुख-पीरा ह असली साहित्य आय.. अब तिरुवनंतपुरम के झुग्गी बस्ती म रहइया धनुजा के ही लिखे किताब ‘चेंगलचूलायिले एन्ते जीवितम’ माने चेंगलचूला म मोर जीवन. ए किताब ल कन्नूर विश्वविद्यालय के बीए अउ कालीकट विश्वविद्यालय के एमए के पाठ्यक्रम म पढ़ाए जाथे.
-वाह भई.. ए तो गरब के लाइक बात आय.
-हव जी.. ए किताब के लेखिका धनुजा कुमारी ह आज घलो अंबालामुक्का के रवि नगर के गली मन म कचरा बीने के बुता करथे. अपन जिनगी के संघर्ष के संगे-संग जाति के आधार म मिले पीरा ल बिना कल्पना के सहारा लिए लिखे हे, एकरे सेती अभी राज्यपाल ह अपन निवास म बला के सम्मानित करिस हे, अउ मजेदार बात जानथस.. सम्मान होय के पहिली तक वोला ए बात के जानकारी नइ रिहिसे के वोकर लिखे किताब ल दू विश्वविद्यालय मन म पढ़ाए जाथे.