रेडियो दिवस म तइहा के सुरता

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -आज 20 अगस्त के रेडियो प्रसारण दिवस के सेती मोला सुरता आवत हे जी भैरा.. अब मनोरंजन के कतकों साधन आगे हवय तभो रेडियो सुनई ह अभो निक जनाथे ना?
-सिरतोन आय जी कोंदा.. जइसे समाचार मन के सोर-खबर ले खातिर कतकों न्यूज़ चैनल आगे हवय, तभो अखबार ल पढ़े बिन मन नइ मानय तइसे केहे कस.
-हव जी.. मोला तब के सुरता हे संगी जब हमर गाँव म पारा भर म सिरिफ हमरे घर भर रेडियो रिहिसे. संझौती बेरा जब बॉंस गीत आवय, त रेडियो ल घर ले हेर के बाहिर के कुआँ पार म मढ़ावन, तहाँ ले पारा भर के लोगन जुरिया के सुनंय.
-अइसने मोला अपन पहला कविता प्रसारण के सुरता हे संगी.. वो बखत अभी असन कविता मनला रिकार्डिंग कर के नइ राखत रिहिन हें. तब जीवंत प्रसारण होवय. बरसाती भइया, बिसाहू भइया मन संग चौपाल कार्यक्रम म मोला बइठारे रिहिन हें, एती ले हमन बोलत जावन.. वोती लोगन ल रेडियो म सुनावत जावय, बाद म मोर पहला कहानी ‘ढेंकी’ के प्रसारण होइस, त वोला पहिली रिकॉर्ड करे गे रिहिसे.