दाई-बबा के कोरा म मिलथे असली दुलार अउ संस्कार

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -पश्चिम के अंधानुकरण करत एक डहार जिहां हमर इहाँ के पीढ़ी ह संयुक्त परिवार के बंधना टोर के व्यक्तिवाद के रद्दा धरत हे जी भैरा उहें स्वीडन ह अपन इहाँ दाई-बबा मनला नाती-नतनीन के देखभाल खातिर तीन महीना के सवैतनिक छुट्टी दे के नियम पास करे हे, तेमा लइका मनला महतारी-बाप के संग दाई-बबा के घलो मया-दुलार अउ संगत मिल सकय.
-ए तो बहुत बढ़िया बात आय जी कोंदा.. हमन संयुक्त परिवार के महत्व ल तो देखेच हावन, आज भले नवा पीढ़ी ह एकर ले छटके असन करत हे.
-हव जी.. संयुक्त परिवार म रेहे ले लइका मनला नान्हे उमर ले ही अपन परंपरा अउ गौरव के संग इतिहास अउ घर परिवार सबके समझ आवत जाथे, उहें एकलमुंडा होके आत्मकेंद्रित होवत पश्चिम के बिखरत अउ परेशान समाज ल तो घलो देखतेच हावन.
-सही आय.. कोनो ‘डे केयर सेंटर’ म पलत-बाढ़त लइका ल वो मया-दुलार अउ देखभाल नइ मिल सकय, जेन दाई-बबा के कोरा अउ दुलार म बाढ़त लइका ल मिल पाथे.