जांजगीर-चांपा

प्रथम चरण एफ एल एन प्रशिक्षण सम्पन्न

बिर्रा। द्वितीय दिवस के प्रशिक्षण की शुरुआत माँ सरस्वती की पूजा एवं वंदना से हुई जिसमें श्री थवाईत सर, श्री देवांगन सर एवं श्री साहू सर जी के द्वारा माता सरस्वती की पूजा एवं वंदना की गई। इसी बीच में हमारे संकुल प्राचार्य एफ. एव साहू सर जी ने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एम डी दीवान के आगमन पर उनका तिलक लगाकर स्वागत वंदन किया गया। तत्पश्चात ह‌मारे मास्टर ट्रेनर राजेश कंवर सर जी के द्वारा चारों संकुलों से प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। जिसमे हायर सेकेण्डरी स्कूल बिर्रा संकुल से भी नोहरराम साहू, डी.डी.एस. संकुल से मनीष देव गुप्ता सर जी, सिलोदेही संकुल से अमृतलाल पटेल एवं भीमराम टंडन सर जी, तावदेवरी से गोसाईराम बंजारे सरजी के द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। तत्परचात हमारे संकुल प्राचार्य एफ. एल साहू सर जी ने प्रशिक्षण के बारे में जान‌कारी दी उन्होंने बताया कि हमें कक्षा में पूर्व तैयारी के साथ अध्यापन कार्य कराना चाहिए तभी हम बच्चों की जिज्ञासा को शांत कर सकते हैं। उसके बाद प्रधानपाठक श्री थवाईत सर जी ने बताया कि हमें विद्यालय में समय पर अपनी उपस्थिती देनी चाहिए एवं अनुशासित रहना चाहिए। उसके बाद डी.डी. एस. संकुल के शिक्षकों के द्वारा प्रथम दिवस के का प्रस्तुतीकरण किया गया। पाठयोजना के तत्पश्चात हमारे आस्टर ट्रेनर श्री राजेश कंवर सर जी के द्वारा एफ. एल. एन. की दक्षता के तीन संसाधनों के बारे में बताया गया जिसमें पहला शिक्षक संदर्शिका, दूसरा पाठ्य पुस्तक एवं तीसरा अभ्यास पुस्तिका। इन तीनों संसाधनों पर काम करने का तरीका बताया गया तथा यह भी बताया गया कि शाला प्रवेश के बाद तीन महीने तक विद्यार्थी शाला प्रवेश मनाना है। वहीं श्यामसुन्दर उराँव सर जी ने गतिविधि के माध्यम से बच्चों की मातृ‌भाषा में उनके परिवार एवं परिवेश के बोरे में बातचीत करके बच्चों के मन से भय को दूर करने के बारे में बताया गया। तत्पश्चात श्री ईश्वर राठौर सर जी के द्वारा मौखिक भाषा कौशल के अंतर्गत भय दूर करने के लिए मौखिक भाषा की रणनीति को बताया गया जिसमें 1 से 6 सप्ताह तक बच्चों की मातृ‌भाषा में बात करेंगे एवं गीत, कहानी, कविता के माध्यम से पाठ्‌य‌पुस्तक से जोड़ेंगे। 7 से 26 तक बच्चों के अनुभव को जोड़ना है। डिकोडिंग के अंतर्गत परिवेशीय आवाजो की पहचान, तुकांत शब्द की पहचान और शब्द की पहचान को बताया गया। पढ़न के अंतर्गत 1 से 6 सप्ताह में पुस्तक से जोड़ने के लिए चित्रों पर चर्चा करना एवं 7 से 26 सप्ताह में स्वतंत्र वाचन, सस्वर वाचन और अनुकरण वाचन बताया गया। लेखन के अंतर्गत शुरुआत में गोदागादरी, आड़ी तिरछी लाइन, उभरता लेखन और रचनात्मक लेखन के बारे में बताया गया। तत्पश्चात श्री कंवर सर जी के द्वारा पाठ्य पुस्तक, अभ्यास पुस्तिका एवं शिक्षक संदर्शिका की कार्ययोजना के बारे में बताया गया जिसमें 1 से 6 सप्ताह तक उभरती साक्षरता के अंतर्गत विद्याप्रवेश की गतिविदि‌याँ एवं पाठ्‌यपुस्तक के पाठों का अभ्यास पुस्तिका के पाठों पर कार्य करना बताया गया।

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