अनपढ़ ले अलहन हो जाथे

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। हमर छत्तीसगढ़ के मयारुक संगीतकार रहे स्व. खुमान लाल साव जी के जनम बछर ह कोनो जगा 1929 लिखाय रहिथे, त कोनो जगा 1930 लिखाय रहिथे, तेकर कारण ल जानथस जी भैरा।
कोन जनी भई.. फेर अतेक बड़ मनखे के जनम बछर म अइसन अलहन कइसे हो सकथे जी कोंदा?
ए ह थोकन लापरवाही अउ थोकन अनाड़ी पन के सेती आय।
अच्छा… अइसे?
हव.. असल म खुमान साव जी के जनम 5 सितम्बर 1929 आय, फेर जब स्कूल म दाखिला कराय बर उंकर सियान ह घर के पहाटिया ल वोकर संग म स्कूल भेजिन, त उनला चेताय रिहिन के 5 सितम्बर 1929 लिखवाबे कहिके।
हाँ त बने ल बने चेताइस।
हव.. फेर पहाटिया घर ले स्कूल के जावत ले ‘उनतीस’ के ‘उन’ ल भुलागे अउ सिरिफ ‘तीस’ भर ल लिखवा दिस. अइसे किसम स्कूल के दाखिला म खुमान साव जी के जनम बछर 1930 लिखागे, जेन अब सबो जगा के सरकारी रिकॉर्ड म चलत हे।
भारी अलकर हे भई.. अरे भई.. कागज म लिख के दे दिए रहितीस, या फेर सियान ल पहाटिया ल स्कूल भेजे के बलदा खुदे जाय रहितीस त अइसन नइ होए रहितीस।