भक्त पर जब जब विपत्ति आई तब तब भगवान ने लिया अवतार – देवेन्द्र कृष्ण महराज

बिर्रा। कर्ष निज निवास में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस विभिन्न कथाओं का वर्णन करते हुए वाराह अवतार, सती चरित्र और प्रह्लाद चरित्र का जीवंत झांकी के साथ कथा सुनाते हुए आचार्य पं देवेंद्र कृष्ण महराज जी ने कहा कि मन की चंचलता प्रकाश से भी तेज़ होता है इसलिए इस मन को अन्यत्र न ले जाकर भगवान भक्ति के लिए ही लगानी चाहिए।

कथा में आचार्य श्री ने आज पृथ्वी की रक्षा हेतु जहां वाराह अवतार लेकर पृथ्वी की रक्षा की वहीं भक्त प्रह्लाद की हरि भक्ति से नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त को अनंत शुभकामनाएं देते हुए राज पदभार का आशीर्वाद प्रदान किया। आज की कथा में पं गीता प्रसाद तिवारी, जितेन्द्र तिवारी, चित्रभानू पांडेय, मुख्य यजमान श्रीमती रजनी – राजकमल कर्ष, श्रीमती भानू – देव कर्ष, श्रीमती उमा सुशील बरेठ, श्रीमती जयंती देवी कर्ष, फोटो बाई, छाया, डिम्पल, मंजू, ममता, घनश्याम कश्यप, लक्ष्मीन देवी, रामकृष्ण कश्यप, उमेश कुमार कश्यप, लक्ष्यनाथ देवांगन, नरोत्तम साहू, संतोष कुमार सोनी, निलाम्बर सिंह, ठाकूर बलराम सिंह, सम्मेलाल यादव, विजय थवाईत, पुनीराम कश्यप, राजेन्द्र कश्यप, भोला साहू, विक्रम सिंह, फिरत राम, सुरेश कर्ष, गौतम, कुणाल, राहूल बाबा, सौखीलाल पटेल, कृष्णा कश्यप, उमेश कुमार कश्यप, अभिषेक केशरवानी, डॉ कमल किशोर बरेठ, अमृत साहू, दिलहरण सहित बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु श्रीमती उमा बरेठ श्रीमती नीरा कर्ष आनंद कर्ष, श्रीमती हेमलता निर्मलकर, शामिल हुए। आज चतुर्थ दिवस की कथा में समुद्र मंथन वामनावतार व श्रीराम कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए श्री कृष्ण जन्मोत्सव नंद उत्सव का जीवंत झांकी के साथ वर्णन किया गया।