छत्तीसगढ़

हमर परब मन खेती किसानी संग अध्यात्म ले जुड़े हे

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले

जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -हमर इहाँ के हर परब के संबंध खेती किसानी ले जुड़े होय के संगे-संग अध्यात्म ले घलो राहय जी भैरा.. ए बात अलग हे के हम वोकर मूल स्वरूप ल भुलावत हावन.
   -तोर कहना वाजिब आय जी कोंदा.. हमन अपन मूल ल भुलावत हावन तेन तो हइच हे, अलहन असन बात ए आय के अंते देश-राज ले आए लोगन के पछलग्गू बनत उंकर जम्मो चरित्तर ल अपन मुड़ म खपलत जावत हन. अब ए पोरा परब ल देख ले, एकर हिंदी करण करत ‘पोला’ कहे ले धर लिए हावन, जबकि पोला कहे म तो अर्थ के अनर्थ हो जाथे.
   -हव भई अइसने ए ह धान के पोर फूटे के या पोठरीपान धरे अउ वोला सधौरी खवाए के परब तो आएच, फेर ए ह भोलेनाथ के मयारुक सवारी नंदीश्वर के जन्मोत्सव परब घलो आय. एकरे सेती ए दिन घरों घर माटी के नंदिया बइला के पूजा करथन. ठेठरी ल जलहरी अउ खुरमी ल शिवलिंग के आकार म बना के पूर्ण शिवलिंग स्वरूप म वोला अर्पित करथन.
   -हव जी पहिली एकरे सेती ए दिन नंदी महराज के स्वरूप गोल्लर ढीले के परंपरा रिहिसे. गोल्लर के पीठ म या जॉंघ म भोलेनाथ के त्रिशूल के चिनहा अॉंक के वोला ढीले जाय, जेला गाँव भर के लोगन देवता बरोबर मानंय.

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker