पहाड़ों पर ही क्यों फटते हैं इतने ज्यादा बादल? जानें इसके पीछे की वजह

नई दिल्ली। उत्तराखंड में बादल फटने से भीषण आपदा आई है, धराली और हर्षिल में सेना के कैंप भी प्रभावित हुए हैं। कई लोग लापता हैं, सेना राहत कार्य में जुटी है। विशेषज्ञों के अनुसार, पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, खासकर मानसून के दौरान, जिसका मुख्य कारण तापमान में परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन है।
उत्तराखंड में बादल फटने के कारण भयावह प्राकृतिक आपदा आई है। पहले धराली गांव और उसके बाद हर्षिल में भारतीय सेना के कैंप पर भी बादल फटा। कई लोगों के लापता होने की भी सूचना है। हालांकि भारतीय सेना राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है। हाल में ही बादल फटने की घटना हिमाचल प्रदेश में भी देखी गई। इस प्राकृतिक आपदा के बीच लोगों के मन में एक ही सवाल आ रहा है कि आखिर क्यों पहाड़ी राज्यों में ही बादल फटने की अधिकतम घटनाएं होती हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। उत्तराखंड-हिमाचल में डेढ़ गुना से अधिक बादल फटने की घटनाएं हुई हैं, गौर करने वाली बात है कि यह सभी घटनाएं मॉनसून के दौरान ही हुई हैं।
क्या होता है बादल फटना?
जब किसी इलाके में एक निश्चित अवधि में अधिक बारिश होती है, उसे बादल फटना कहा जाता है। IMD के अनुसार, अगर 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के एरिया में एक घंटे में 100 मिमी बारिश होती है, तो उसे बादल फटने की घटना कहा जाता है। कभी-कभी तेज बारिश के साथ ओले भी गिरते हैं।
क्यों और कब होती है बादल फटने की घटनाएं?
तापमान में परिवर्तन होने के कारण जब गर्म हवाएं, ऊपर की ओर उठती हैं तो वह अपने साथ नमी भी लेकर जाती हैं। ऊपर पहुंचने के साथ यह गर्म हवा ठंडी हवा में परिवर्तित हो जाती है। जिससे हवा के साथ नमी पानी की बूंदों में परिवर्तित हो जाता है। यह बूंदें आपस में कई सारी बूंदों से मिलकर जाती हैं। जिससे इनका घनत्व बढ़ जाता है और अचानक से एक निश्चित इलाके में भारी बारिश होती है। सरल भाषा में कहें तो हिमाचल और उत्तराखंड में क्षेत्रीय जलचक्र में तेजी से बदलाव होता है। जिससे गर्म हवाएं, ठंडी हवाओं से मिलती हैं और इनमें मौजूद नमी बड़े आकार के बादल बनकर भारी वर्षा कराते हैं। हाल के वर्षों में मॉनसून के दौरान बादल फटने की अधिकतम घटनाएं सामने आई हैं।
आखिर पहाड़ों में ही क्यों हो रही बादल फटने की घटनाएं?
पहाड़ी इलाकों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल में बादल फटने के लिए मौसम वैज्ञानिकों का तर्क है कि गर्म हवाएं नमी के साथ सीधे पहाड़ी इलाकों की ओर बढ़ती हैं फिर यह वही ऊपर जाने का प्रोसेस शुरू करती हैं। लेकिन यहां पर हवाओं के रुकने का एक सीधा कारण ऊंचे-ऊंचे पहाड़ है। जो कि हवाओं को आगे बढ़ने से रोकते हैं। यहां पर कई सारे बादल एक साथ एकत्र हो जाते हैं। जिससे यह बादल फटने की घटनाएं होती है। हालांकि पिछले कई सालों से उत्तराखंड और हिमाचल बादल फटने की घटनाओं को लेकर काफी संवेदनशील हैं। वैज्ञानिक मानते है यहां पर तेजी से होता जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा कारण है। जो कि अधिक वाहनों के आने, जंगलों की आग और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का कारण है।