छत्तीसगढ़

वो होथे खतरा जे किताब ल पवित्र मानथे फेर पढ़य नहीं

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले

जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। जादा पढ़ाकू मनखे मनला देख के डरभुतहा बानी के जनाथे जी भैरा।

अइसे काबर जी कोंदा.. जे मनखे जतके जादा पढ़थे-लिखथे वो वतके गुनिक अउ सुलझे हुए होथे.. कभू कोनो ल बरपेली नुकसान पहुंचाए या अपमानित करे के उदिम नइ करय, फेर एकर उल्टा जरूर देखे ले मिलथे।

कइसे ढंग के उल्टा जी?

जे मन कम पढ़े लिखे होथे अउ धोखाधड़ी म कहूँ एकाद ठन धरम-करम के पोथी ल पढ़ डारे रहिथें, वो मन उहिच पोथी के गोठ ल ही ज्ञान अउ सत्य के प्रतीक बतावत तोर मुड़ी म चघे के कोशिश जरूर करही।

वाह भई..!

हव.. दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ह एकरे सेती एक जगा कहे हे- ‘जेकर जगा लाइब्रेरी हे अउ जे नंगते पढ़थे, वोला झन डर्रावौ.. डर्रावौ वोला जेकर जगा एके ठन किताब हे, जेला वो ह पवित्र मानथे, फेर पढ़य नहीं’।

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