पर्यावरण संरक्षण के नॉव म आडंबर जादा चलत हे

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। पर्यावरण दिवस अवइया हे जी भैरा.. ए बछर तैं ह के ठन पौधा लगाके वोकर जोखा करबे?
पौधा तो मैं एके ठन बोथौं जी कोंदा, फेर हमर तीर-तखार म जतका रूख-राई हे सबोच के जोखा-संवागा करथौं अउ बारों महीना करथौं.. हमन नेता थोरे अन जी तेमा फोटू खिंचवाए बर एक ठन पौधा लगा के ओमा बिन पानी डारे मरे बर छोड़ देबो।
सही आय संगी.. हमर-तुंहरे मन कस किसनहा मन के सेती ही पेड़ पौधा लगथे.. ओ मन बाॅंचथें अउ फरथे-फूलथे, नइते बाकी मन तो एसी कुरिया म बइठ के प्लास्टिक अउ पॉलीथीन ल बगराए म मगन रहिथें अउ बछर भर म एक दिन एक ठन पौधा ल धर के जाथें अउ पंद्रा झन जुरिया के फोटू खिंचवाथें बस।
भइगे पर्यावरण संरक्षण अउ बढ़ोत्तरी के नॉव म अइसनेच ढोंग चलत हे संगी, तभो ले अखबार वाले मन अइसने देखावटी मन के फोटू ल छापथें घलो।