विडीयो देखे ले जादा किताब पढ़े के हे महत्व

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -ए डिजिटल युग ह हमर मन के पढ़ई-लिखई के आदत ल छोड़ा के विडीयो देखई डहार लेगत हावय जी भैरा.
-सिरतोन कहे जी कोंदा.. अब तो हमन चिट्ठी पाती लिखे बर घलो भुलावत जावत हावन.. एकर बलदा म आॅडियो या विडीयो मैसेज भेज डारथन या सउंहे गोठ-बात कर लेथन.
-सही कहे संगी.. नवा पीढ़ी तो एमा एकदमेच रंगगे हावय, फेर एकर ले हमर मन के कल्पना अउ सृजनात्मक शक्ति के बढ़वार म सरलग कमी आवत हे.
-अच्छा.. अइसे?
-हव.. अभी एक शोध रिपोर्ट म बताए गे हवय के विडीयो देखे के बलदा किताब ल पढ़ के कोनो विषय के जानकारी सकेले ले हमर कल्पना शक्ति परिष्कृत होथे, जेकर ले सृजनात्मकता बाढ़थे घलो.
-ठउका बताए संगी.. अब महूं ह जादा विडीयो-फिडीयो ल देखई छोड़ के किताब पढ़े म जादा चेत करहूं.. वइसे मोर एक आदत बढ़िया हावय के मैं अखबार बहुत पढ़थौं.. टीवी म समाचार घलो देखथौं, फेर अखबार ल जादा महत्व देथौं.