जइसन करबे संगति तइसनेच होही तोर गति

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। हमर खान-पान, रहन-सहन अउ संगति के असर होथे नहीं जी भैरा?
जरूर होथे जी कोंदा, तभे तो हमर पुरखा मन हाना गढ़े रिहिन हें- जइसे खाबे अन्न, तइसे बनही मन.. अउ जइसे करबे संगति, तइसनेच होही तोर गति।
महूं ल ए सब ह वाजिब जनाथे जी संगी.. अभी एक झन पुलिस वाले ल देखत रेहेंव, ओकर गोठ म गारी-गुफ्तार ह सहज कस जनाथे।
जनाबेच करही, जिनगी भर अपराधी मन के आगू-पाछू भगई संग उंकर संग गोठ-बात के असर तो दिखबेच करही. एक झन प्रायमरी स्कूल के गुरुजी हे वो ह जम्मो लोगन ल पढ़इया लइका बरोबर अउ अपनआप ल दुनिया के सबले बड़े ज्ञानी बरोबर समझथे, वोकर व्यवहार म ए सबो ह दिखथे घलो।
हव जी.. वइसने एक झन जानवर के डॉक्टर ल घलो देखे हौं.. वो ह जब गोठियाथे त मुड़पेलवा बरोबर.. जइसे माल-मत्ता मन बरपेली हुमेले असन करत रहिथे ना.. ठउका उहू ह वइसने कस जनाथे, अपन अनीत रइही तभो घेक्खर बानी के मुड़पेलवा असन करबेच करथे।