जांजगीर-चांपा

रानी दुर्गावती एवं अहिल्याबाई होलकर जयंती ब्याख्यान बिर्रा में सम्पन्न

बिर्रा। संस्कार भारती जिला इकाई सक्ती द्वारा आयोजित वीरांगना रानी दुर्गावती की 500 वीं जन्म जयंती व लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की 300 वीं जन्म जयंती के अवसर पर व्याख्यान सोपान 26/10/24 को आचार्य चाणक्य सभागार बिर्रा में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मणिलाल कश्यप (सामाजिक कार्यकर्ता), अध्यक्षता के आर कश्यप (जिलाध्यक्ष), एकादशिया साहू (जनपद सदस्य प्रतिनिधि), श्रीमती अरुणा तिवारी (पर्यवेक्षक, महिला बाल विकास विभाग) के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के वक्ता के रूप में डॉ. श्रीमती सरोजनी डड़सेना, मोहनलाल कश्यप, रामकिशोर देवांगन रहे। सभी अतिथियों का स्वागत शाल श्रीफल व तिलक वंदन से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ भारती व सरस्वती के तैलचित्र पर अतिथीयों एवं वक्ताओं द्वारा पूजा अर्चना कर  किया गया। मंत्रोच्चार प्रवीण तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन मनोज तिवारी व्दारा किया गया। संस्कार भारती का ध्येय गीत “साध्यति संस्कार भारती” का गायन प्रवीण तिवारी, सृष्टि कश्यप, आकांक्षा कैवर्त, आशा कश्यप द्वारा किया गया।

मुख्य वक्ता श्रीमती डॉ. सरोजनी डडसेना ने रानी दुर्गावती की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा “महारानी दुर्गावती का जन्म दुर्गाष्टमी के दिन चंदेल वंशीय गुर्जर क्षत्रिय कुल में हुआ। दुर्गा अष्टमी पर जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। उनका प्रेम विवाह गढ़ा के गोंड राजा दलपत शाह से हुआ। उनके आकस्मिक निधन पर सारी राजसत्ता रानी दुर्गावती को सम्भालनी पड़ी क्योकि उनका पुत्र नारायण उस समय छोटा था। अकबर से उनका घमासान युद्ध हुआ जिसमें उन्होंने वीरगति पाई।”

मोहनलाल कश्यप मे रानी अहिल्या बाई होलकर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा “छत्रपति राजाराम महाराज के निधन के पश्चात मराठा साम्राज्य चार भागों में विभक्त हो गया। प्रथम की राजधानी पूना थी। जिसमे चितपावन वंश के राजा शासन करते थे। जिन्हें पेशवा कहा जाता था। द्वितीय भाग की राजधानी ग्वालियर थी। जिसमें सिंधिया वंश के लोग शासन करते थे। तृतीय भाग की राजधानी नागपुर थी। जिसमे भोसलें वंश के शासक राजसत्ता चलाते थे। चतुर्थ भाग (मालवा) की राजधानी इंदौर थी जिसमे होलकर वंशीय शासक राजकाज चलाते थे। अहिल्या बाई का जन्म औरंगाबाद (अब छत्रपति सम्भाजी नगर) मे हुआ। वे परम् शिव भक्त थीं। उन्होंने अपने पति को राजनीति का ज्ञान दिया था। वे शस्त्र औऱ शास्त्र दोनों में पारंगत थी। उन्होंने महेश्वर में वस्त्र उद्योग स्थापित किया। जो आज भी महेश्वर साड़ी के नाम से विख्यात है। उन्होंने बालिका शिक्षा के लिए अनेक प्रयास किये। उन्होंने काशी विश्व नाथ, महाकाल, उज्जैन, चित्रकूट, घृष्णेश्वर, त्रयम्बकेश्वर, आदि मन्दिरो का जीर्णोद्धार कराया था। उनका जीवन पूर्णतः आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति में समर्पित रहा। औऱ अंत मे वे शिवमय हो गयीं।” रामकिशोर जी देवांगन ने कहा कि “रानी दुर्गावती, अहिल्या बाई एक ऐसे व्यक्तित्व है, जिनसे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। और उनके आदर्शों को व्यवहार में ढालने का प्रयास करना चाहिए। मुख्य अतिथि मणिलाल कश्यप ने कहा “आज कोई भी, रानी दुर्गावती बन सकतीं हैं, पर हमें इसके लिए परोपकार और राष्ट्रभक्ति का महाधन चाहिए। एकादशियां साहू जी ने कहा कि “हमें आज उन रानी दुर्गावती और महारानी अहल्याबाई की आवश्यकता है जो देश का पुनरूत्थान कर सकें। भारत को विश्वगुरु बना सके। श्रीमती अरुणा तिवारी ने कहा – “शक्ति के बिना शिव भी शव के समान हैं, बिना वीरांगनाओ के देश का स्वतंत्रता निर्जन वन में रुदन करने के समान था।” मुगल जैसे सल्तनत के सुल्तान भी इनसे ख़ौफ़ खाते थे। आभार प्रदर्शन के आर कश्यप जिलाध्यक्ष द्वारा किया गया।

इस अवसर पर के आर कश्यप (जिलाध्यक्ष) मनोज तिवारी (महामंत्री) दुष्यंत साहू (कोष सह प्रमुख), रेशमलाल कश्यप (उपाध्यक्ष) श्रवण थवाईत (सदस्य), प्रवीण तिवारी, कृष्णा साहू, हेमलता देवांगन, शांति कश्यप, वीणा, पूर्णिमा जायसवाल, शांता साहू, उत्तरा बाई, मैना गोंड, पुतरी पाण्डेय, सरिता नेताम, गंगा बाई साहू, मालती महंत, रजनी बर्मन, राजकुमारी पटेल, धनेश्वरी मांझी, शांति मनहर, सोनी कौशले, कीर्तन बाई कश्यप, दमयंती कश्यप, अन्नपूर्णा चन्द्रा, गीता साहू, दुधबाई, अभिषेक देवांगन, सृष्टि कश्यप, आकांशा करवट, आशा कश्यप, लक्ष्मीनारायण डड़सेना आदि उपस्थित रहें। उक्ताशय की जानकारी मनोज तिवारी (महामंत्री) द्वारा दी गई।

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