गरीबी ल न्याय देके सिरवाए जा सकथे, दान देके नहीं

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -अभी चारों मुड़ा के सरकार मन फोकट म चॉंउर, फोकट म बिजली अउ फोकटेच म फलाना-ढेकाना के चरित्तर म बूड़े हें जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. फोकट म झोंक-झोंक के लोगन कोढ़िया जॉंगरचोट्टा बनत जावत हें, फेर मोला ए ह निक नइ जनावय संगी.. अइसन करे ले कोनो भी देश के गरीबी ल नइ सिरवाय जाय सकय.
-ठउका कहे संगी.. मैं कतकों झन फोकट के चॉंउर झोकइया मनला वो चॉंउर ल बेच के जुआ-चित्ती अउ मंद-मउहा म बूड़े देखे हौं.
-महूं ह अइसन मनला देखे हौं संगी.. श्रम शक्ति के जब तक रचनात्मक अउ न्यायसंगत उपयोग नइ होही तब तक गरीबी अउ भूखमरी दुरिहाय के बात ह बिरथा हे.
-हव जी दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति अउ रंगभेद आन्दोलन के प्रमुख रहे नेल्सन मंडेला ह एक पइत केहे रिहिसे- गरीबी ल न्याय दे के ही सिरवाए जा सकथे, दान दे के नहीं.