मानस में भैरव शब्द नहीं, पर भैरव मानस के अक्षर-अक्षर में व्याप्त : प्रवीण तिवारी

जांजगीर-चांपा। संस्कार भारती जिला इकाई सक्ती के मार्गदर्शन पर बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत शारदा संगीत विद्यालय बिर्रा द्वारा आयोजित गोस्वामी तुलसीदास एवं महामना मुंशी प्रेमचंद जन्म जयंती उत्सव 3 अगस्त 2025 को आचार्य चाणक्य सभागार बिर्रा में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ मां भगवती वीणा वादिनी एवं मां भारती मुंशी प्रेमचंद गोस्वामी तुलसीदास जी के तेल चित्र के समक्ष वैदिक मंत्र उपचार के साथ पंडित प्रवीण तिवारी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनोज तिवारी द्वारा किया गया। वक्त के रूप में श्रीमती डॉक्टर सरोजिनी डड़सेना, कृष्ण कुमार देवांगन व्याख्याता, प्रवीण तिवारी मंडल एवं केंद्र घोष प्रमुख (रा.स्व.से.संघ), मोहनलाल कश्यप सेनि लेखापाल रहे। अभ्यगतों का मंगल तिलक एवं श्रीफल से स्वागत किया गया।
अपने उपाख्यान में पं०प्रवीण तिवारी ने कहा मानस की आरती में हम कहतें हैं कि छयो शास्त्र सब ग्रंथन कोरस भले ही उसका अर्थ रस से हो परंतु मेरे विचार में किसी गीत के उस भाग जिसे पाश्र्व गायकों के द्वारा दोहराया जाता है उसे कोरस कहा जाता है। बाबा तुलसी ने ना सिर्फ मानस को रचा बल्कि बाकी के शास्त्रों का कोरस गाया अर्थात सबका सार एक ग्रंथ में डाल दिया। अपने विषय मानस भैरव में कहा कि भैरव शब्द मानस में नहीं है पर विनय पत्रिका में अवश्य है। भैरव को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं, जैसे उनका मदपान करना और वैष्णव देवी के भैरवनाथ नामक एक कपटी मुनि को काल भैरव या शिवावतार से जोड़ के देखना इन सब भ्रांतियों का स्पष्टीकरण प्रवीण द्वारा किया गया।
अपने व्याख्यान में डॉ.सरोजनी डड़सेना ने कहा मुंशी प्रेमचंद जी सभी वर्गों की गूंज थे। वे जब भी सोते थे अपने साथ पेन कलम लेकर सोते, जब भी समय मिलता कुछ न कुछ लिखते रहते। वे कहते मैं मज़दूर हूँ यदि मैं एक दिन कुछ ना लिखूं तो मुझे रोटी खाने का हक नहीं है। कृष्ण कुमार देवांगन ने गोस्वामी तुलसीदास जी की सम्पूर्ण जीवन गाथा को सरल भाषा में कहा। उन्होने कहा कि तुलसीदास जी के जन्मदिवस एवं वैकुंठ गमन दिवस एक ही है श्रावण शुक्ल सप्तमी तिथि। उन्होंने रत्नावली की कथा सुनाई जिसमें एक पत्नी किस प्रकार गुरु बनकर अपने पति को भव पार लगा सकती है। मोहन लाल कश्यप ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षण में प्रत्येक पल जो सर्वदा मार्गदर्शन करते आ रहा है वो है मानस तुलसी दास जी का नाम रामबोला था जो जन्म लेते ही राम राम बोलने लगे थे।
सर्वप्रथम विनय पत्रिका के गणेश वंदना गाइये गणपति जग बंदन का गायन प्रवीण तिवारी द्वारा, सृष्टि कश्यप द्वारा राम भजन हमारे साथ श्री रघुनाथ तो का मधुर स्वर में किया गया। हिमेस कश्यप द्वारा राम भजन तथा जयेश द्वारा कृष्ण भजन गाया गया। आकांशा करवट द्वारा भी राग बिंद्राबनी सारंग प्रस्तुत किया गया। आशा द्वारा भी राम भजन गाकर समा बांधी गई। कृष्णोलाल साहूछू द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया। पटेल बंधुओ द्वारा राग यमन गाया गया। सभी पर तबला सँगत श्रवण कुमार थवाईत तथा जयंत कुमार कश्यप द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन मनोज तिवारी (महामन्त्री) द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्कार भारती जिला सक्ती से मनोज तिवारी (महामन्त्री), चंदन कश्यप (जिला मंत्री आईटी), भूपेंद्र कश्यप (सदस्य), कृष्णोलाल साहू (सदस्य), कृष्ण कुमार देवांगन (सदस्य) एवं विद्यार्थियों में सुष्मिता पटेल, देवेंद्र पटेल, प्रज्ञा पटेल, दक्ष कुमार कश्यप उपस्थित रहे।