देश के पहले किसान स्कूल में धूमधाम से मनेगा प्रकृति राखी का पर्व

जांजगीर-चाम्पा। छत्तीसगढ़ में रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और ग्लोबल वार्मिंग की इस दौर में जिले के जैविक क़ृषि ग्राम बहेराडीह में स्थापित देश के पहले किसान स्कूल में यहां की बिहान की महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़-पौधों को अपना भाई मानकर उन्हें राखी बांधती हैं और रिश्तों को एक नया आयाम दे रही हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि यहां की बिहान की महिलाएं पिछले चार साल से रक्षाबंधन का पर्व पर पेड़ों के तने और टहनियों पर राखी बांधकर ‘प्रकृति राखी’ पर्व मना रही हैं। बहेराडीह के बिहान की महिलाओं का मानना है कि जिस प्रकार भाई अपनी बहनों की रक्षा करते हैं। उसी प्रकार पेड़ भी निरंतर सभी को आक्सीजन देकर सभी की रक्षा कर रहें हैं, इसलिए वे इस तरह से रक्षाबंधन पर्व के एक दिन पूर्व प्रकृति राखी पर्व का आयोजन करके पेड़ों को राखी बांधकर पर्यावरण संरक्षण का लोगों को सन्देश दे रहीं हैं। महिलाओं ने पेड़-पौधों के संरक्षण से जोड़ने का विचार बनाया, ताकि पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए लोग और भी ज्यादा प्रेरित हों। इस बार रक्षा बंधन पर्व के एक दिन पूर्व गत वर्ष की भांति 8 अगस्त को वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह में प्रकृति राखी पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
8 अगस्त को छत्तीसगढ़ में मनेगा प्रकृति राखी पर्व
वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि किसान स्कूल परिवार के आग्रह पर पिछले साल छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में रक्षाबंधन पर्व के एक दिन पूर्व बिहान की दीदियों ने प्रकृति राखी पर्व मनाया था और किसान स्कूल को जिलेवार पेड़ों को राखी बांधकर दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देते हुए फोटो और वीडियो भेजा गया था। इस बार भी प्रदेश के सभी बहनों को रक्षा बंधन पर्व के एक दिन पूर्व ‘प्रकृति राखी’ पर्व मनाने का आग्रह किसान स्कूल परिवार ने किया है।
पेड़ों को महिलाएं बांधेगी इको फ्रेंडली राखी
किसान स्कूल में बिहान की महिलाओं द्वारा बनाई गईं साग-भाजी और फल-फूल के रेशे से निर्मित इको फ्रेडली राखियां पेड़ों को बिहान की महिलाएं और स्कूल की बेटियां बांधेगी। इस ‘प्रकृति राखी’ पर्व में पिछले साल की भांति इस बार भी देश के जवान भी शामिल होंगे।