छत्तीसगढ़

जेठ पुन्नी के मयारुक सुरता

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले

जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। तैं ह कवि मन म कबीर साहेब ल ही ऊँचहा आसन देथस जी भैरा.. आखिर अइसन काबर?

पहिली बात तो ए हे जी कोंदा के मैं सिरिफ कबीर साहेब म ही जइसे कथनी तइसनेच करनी के रूप देखथौं… जबकि कतकों अइसनो कवि मनला मैं जानथौं जेकर मन के उपदेश ह सिरिफ दूसर मन खातिर रहिथे, वोकर खुद के जीवन चरित्र ल देखबे त थोथो -लोलो बरोबर जनाथे।

अच्छा… अइसे?

हव.. दूसर अउ महत्वपूर्ण बात ए हे जेन ह मोर हिरदे म मया घोरथे वो हे.. इही कबीर जयंती माने जेठ पुन्नी के मोला पहिली बेर पिता कहइया मोर बड़का नोनी ह ए धरती म आए रिहिसे।

अच्छा.. अइसे?

हव जी.. कबीर साहेब से तो मैं छात्र जीवन म उंकर रचना पढ़त रेहेंव तब ले प्रभावित रेहेंव, फेर जब मैं खुद आध्यात्मिक साधना म गेंव अउ मोर वो जम्मो महत्वपूर्ण माध्यम मन संग साक्षात होइस.. ज्ञान मिलत गिस तब ले उंकर खातिर मोर हिरदे म सम्मान के भाव अउ बाढ़त गिस।

ले बने हे, त आज कबीर जयंती अउ तोर पिता कहाए के पहिली तिथि जेठ पुन्नी के बधाई अउ जोहार।

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