स्थानीय भाखा के शब्द मनला ज्यादा बउरव

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। तोर सुझाव के छत्तीसगढ़ सरकार ऊपर जबर प्रभाव परे हे जी भैरा.. अब इहाँ के पुलिस विभाग के लिखा-पढ़ी म उर्दू अउ फारसी शब्द मन के जगा हिंदी शब्द बउरे जाही।
मैं तो पहिलीच ले गोठियावत रेहे हौं जी कोंदा.. जेन शब्द मन के मतलब ल लोगन समझय बूझय नहीं, ते मनला परंपरा के रूप म लादे रखना बने थोरहे आय तेमा।
हव भई नोहय.. तभे तो इहाँ के गृह मंत्री ह वइसन शब्द मन के बलदा हिंदी शब्द बउरे बर केहे हे।
मोर तो इहू कहना हे संगी.. हिंदी के घलो आम बोलचाल के शब्द मन के ही उपयोग करे जावय, कहूँ एकरो भारी-भरकम टॉंठ असन शब्द मनला लिखा-पढ़ी म खुसेरहीं, त उहू ह अलकर हो जाही.. जादा अच्छा तो ए हे के छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी अउ सरगुजिया जइसन स्थानीय भाखा के शब्द मनला जादा बउरे जाय, तेमा गाँव-गंवई के आम लोगन घलो वो लिखे गे शब्द अउ वोकर अरथ ल समझ सकय।