बस्ता के बोझा म लइका के कनिहा नवत हे

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -अब के पढ़इया लइका मनला जउंहरहा बस्ता लाद के रेंगत देखबे त पहिली नेवरिया बइला मन के घेंच म नॉंगर जोते के पहिली लदका लादय नहीं, तेकरे सुरता आथे जी भैरा.
-सिरतोन आय जी कोंदा.. पढ़ई हमू मन करे हन भई फेर अइसन जउंहरहा बस्ता कभू लादे बर नइ लागे रिहिसे, हमन तो बस गिनती के चार ठन कापी किताब मनला झोला म धरन अउ मेंछरावत फुदक्का मारत पल्ला दौंड़त असन स्कूल चल देवत राहन.
-हव जी.. विशेषज्ञ मन के कहना हे के भारी भरकम बस्ता लाद के कोंघरे-कोंघरे रेंगे ले लइका मन के रीढ़ के हांड़ा टेड़गा हो जाथे, एकर ले शारीरिक अउ मानसिक विकास घलो ढेरियाय असन हो जाथे.
-होबेच करही संगी.. भारत सरकार के गाइडलाइन घलो अइसने कहिथे, फेर मोला ए सब खातिर शिक्षा विभाग के अधिकारी मन संग पुस्तक प्रकाशक मन के मेल-जोल ह जादा कारण जनाथे.
-हो सकथे भई.. फेर एमा प्रायवेट स्कूल मन म तो अउ अति दिखथे.. कमीशन के चक्कर म कतकों किताब कापी मन बरपेली पाठ्यक्रम म संघर जाथे तइसे जनाथे.