गुरु पुन्नी जोहार

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -गुरु पुन्नी परब के जोहार जी भैरा.
-जोहार संगी कोंदा.
-तहूं ह कान-उन फूंकवा डारे हावस नहीं जी?
-मैं ह पाठ-पिढ़वा वाले औं जी.. कोरी भर बछर होगे हे हरेली के दिन बइगा बबा जगा पाठ-पिढ़वा ले रेहेंव तब ले वोकरे बताए मुताबिक जप-तप चलत रहिथे.
-महूं गुनत हौं काकरो जगा कान फूंकवा लेतेंव.. मंडल पारा के सियान ह काहत रिहिसे बिन कान फूंकवाय तप-जप साधना के पूरा फल नइ मिलय कहिके.
-सिरतोन काहत रिहिसे सियान ह.. जम्मो लोगन ल विधिवत गुरु जरूर बनाना चाही, तभे हमर आध्यात्मिक साधना के फल ह पूरा मिलथे, साधना ह सफल होथे.. गुनिक मन बताथें के फल तो हमर अपन ईष्ट ही ह देथे, फेर गुरु के माध्यम ले देथे कहिथें.
-अच्छा.. तब तो महूं ह गुरु बनाइच लेथौं जी, फेर का कोनो विशेष पदवी म बिराजे मनखे ल ही गुरु बनाए म ही साधना ह सिध परथे.
-अइसन नइहे संगी.. जेन कोनो सिद्ध लोगन ल तैं जानत होबे, जेकर ऊपर तैं भरोसा करत होबे.. वोला गुरु बना ले.. जेन ह तोला सत् साधना के रद्दा धरा देवय.. उही ह तोर बर सतगुरु आय.