गुड्डा-गुड़ियों की शादी, अक्षय तृतीया पर : प्रेमलता

गुड्डा-गुड़ियों की शादी, अक्षय तृतीया पर
आया आज शुभ दिन प्यारा,
अक्षय तृतीया का उजियारा।
खुशियाँ छाईं, घर में रौनक,
गुड्डा-गुड़िया का ब्याह है भव्य।
गुड्डा पहने टोपी सुनहरी,
गुड़िया सजी चुनरी गहरी।
बच्चे बोले तालियाँ बजा के,
“वाह-वाह!” सब मिल मुस्काके।
फूलों की माला, हल्दी का टीका,
लड्डू-पेड़े, मीठा-मीठा।
नन्हे पुजारी मंत्र सुनाते,
गुड़िया के पापा फूले जाते।
खिड़की से झाँके नन्हा गार्ड,
हँसकर बोले — “शादी शानदार!”
म्यूजियम के गलियारे में,
खुशियों की लहरें बहती जैसे।
छोटे-छोटे हाथों में थाली,
चावल, अक्षत, दीपक वाली।
संग-संग सब नाचे-गाएँ,
गुड्डा-गुड़िया को आशीष दे जाएँ।
शादी में ना कोई झगड़ा,
ना कोई शोर, ना कोई दगड़ा।
प्यारी हँसी और खिलखिलाहट,
हर दिल में थी बस मिठास की आहट।
चलो मनाएँ हम भी प्यारा,
अक्षय तृतीया का त्योहार न्यारा।
सपनों की दुनिया में खो जाएँ,
गुड्डा-गुड़िया की शादी रचाएँ!
रचना – श्रीमती प्रेमलता साहू (व्याख्याता)
शासकीय डी डी एस उच्च माध्यमिक विद्यालय बिर्रा
जिला – जांजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़)