जांजगीर-चांपा

मृत्यु को मंगलमय बनाने वाली भागवत कथा – देवेंद्र कृष्ण महराज

बिर्रा। दाउमुहल्ला बिर्रा कर्ष परिवार द्वारा आयोजित कर्ष निज निवास में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस कथावाचक पं देवेंद्र कृष्ण महराज जी ने कहा कि हम भागवत महापुराण की कथा हम क्यूं श्रवण करते हैं और भागवत कथा सुनने का क्या फल मिलता है और इसको सुनने का अधिकारी कौन होता है तो आचार्य श्री ने बताया कि सबसे पहले भागवत की महिमा का गुणगान करने के लिए महात्म्य सुनाई जाती है।

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भागवत का प्रथम श्लोक ही सच्चिदानंद रूपाय अर्थात भगवान का स्वरूप ही आनंद है। शब्दों में भागवत का वर्णन भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर अर्थात जल होता है इसी पंच तत्वों से यह हमारा शरीर का निर्माण होता है और यही भागवत महापुराण के श्रवण से हमारी मृत्यु को मंगलमय बनाती है।जैसे धुंधकारी को भागवत कथा सुनने पर मोक्ष गति प्राप्त हुई। उन्होंने कथा में भगवान के अवतारों की कथा परीक्षित जन्म कथा, महाभारत की कथा व ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन किया। आज की मंगलमय कथा श्रवण करने पं गीता प्रसाद तिवारी, सुरेश चंद कर्ष, मुख्य यजमान श्रीमती रजनी राजकमल कर्ष, श्रीमती भानू देव बरेठ, घनश्याम कश्यप, राहूल बाबा, जितेन्द्र तिवारी, बुधराम कश्यप, संजय तिवारी, फेंकूलाल कश्यप, ननकी पटेल, देवप्रसाद कश्यप, डॉ कमल किशोर बरेठ, अनंद कर्ष, भागवत नामदेव सपरिवार देवेंद्र नामदेव प्रतीमा नामदेव, संतोष सोनी, चैतू राम, राजेश कश्यप, पितांबर कश्यप, जय थवाईत, अमृत साहू, पंचराम कश्यप, कोमल कश्यप सहित बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु शामिल हुए।

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