जांजगीर-चांपा

संगीत सिर्फ विद्या नहीं संत, संगी और गीत है – लोकेश देवांगन

बिर्रा। शारदा संगीत महाविद्यालय बिर्रा एवं संस्कार भारती जिला इकाई सक्ती के संयुक्त तत्वत्धान में आचार्य चाणक्य सभागार में 20 जुलाई 2025 को गुरु पूर्णिमा महोत्सव सम्पन्न हुआ। जिसमें अभ्यागतों के रूप में दिनेश चंद्रा (संचालक डीपीएस बिर्रा), बनवारी लाल कश्यप (से.नि. एस. डी. ओ.), रामगोपाल तिवारी (मण्डल संघ चालक), कृष्णकुमार देवांगन (व्याख्याता), मणिलाल कश्यप (सामाजिक कार्यकर्ता), रामकिशोर देवांगन (प्रधान पाठक), कमल प्रसाद कुर्रे (व्याख्याता), छवि पटेल (प्रधान पाठक) रहे। धर्म गुरुओं में पं वीरेंद्र दुबे (भागवताचार्य), पं० विनोद दुबे (भागवत प्रवक्तता), पं दिलीप पाण्डेय (भागवताचार्य) एवं संगीत गुरु में खीकराम कश्यप (प्राचार्य, गु.घा.संगीत महा.हसौद), लोकेश देवांगन (बनारस घराना), जयंत कश्यप (संगीत शिक्षक बिर्रा), श्रवण थवाईत (संगीत शिक्षक बिर्रा), संतोष कश्यप (संगीत शिक्षक बिर्रा – बम्हनीडीह) रहे। धर्म व संगीत गुरुओं का सम्मान शाल, श्रीफल, डायरी पेन व प्रशस्ति पत्र से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ भगवती शारदा व भारत माँ के तैल चित्र पर पूजार्चना कर किया गया। संचालन प्रवीण तिवारी द्वारा किया गया। गणपति वंदना एवं संस्कार भारती के ध्येय गीत का गायन प्रवीण तिवारी द्वारा किया गया। गुरु वंदना एवं स्वागत गीत कु.सृष्टि कश्यप एवं त्रिशाला महंत द्वारा किया गया। अपने उद्बोधब मे दिलिप ने कहा जीवन संगीत के कण – कण, क्षण-क्षण में व्याप्त है। वीरेंद्र दुबे ने कहा भगवन व्यास नारायण के इस जन्म जयंती के महोत्व को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। यह पर्व नहीं, एक उत्सव है जो पूर्णरूपेण अनवरत है। विनोद दुबे ने कहा कि भगवान कृष्णद्वैपायन ने सामवेद को श्रुति से साहित्य बनाया जो संगीत की जननी है। लोकेश ने कहा संगीत न केवल संगीत है, अक्षरों को हेर फेर करने पर संगी, संत, गीत बन जाता है। तत्पश्चात जयेश कश्यप द्वारा राग आसावरी प्रस्तुत किया गया। तबला संगत श्रवण थवाईत किया गया। हिमेश द्वारा राग भीमपलासी, त्रिशाला द्वारा भूपाली, चांदनी द्वारा राग भैरवी एवं अनुराग व हेमन्त के द्वारा राग भैरव एवं भजन प्रस्तुत किया गया। तबला संगत किरीट साहू द्वारा किया गया। कृष्णोलाल साहू द्वारा राग भैरवी तीनताल एवं भजन गाया गया तथा भूपेंद्र कश्यप द्वारा भैरवी में भवानी दयानी तथा गुरु भजन प्रस्तुत किया गया। तबले पर संगत संतोष आदित्य द्वारा किया गया। प्रवीण तिवारी द्वारा राग शुद्ध कल्याण की पारम्परिक बन्दिश बाजो रे बाजो तथा सावन की ठुमरी बरसन लागी सावन बुंदिया गाकर समा बांध दी। तबला संगत संतोष कश्यप तथा हारमोनियम संगत जयंत कश्यप द्वारा किया गया। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना कु मेघा यादव द्वारा ऐरी सखी गीत में भावनृत्य कत्थक प्रस्तुत किया गया। तथा बालिका द्वै रिद्धि चौहान के द्वारा भी कत्थक प्रस्तुत किया गया। के आर कश्यप द्वारा राग बैरागी व राग मियां मल्हार में भजन प्रस्तुत किया गया, तबला संगत सरोज पटेल द्वारा किया गया। खुशाल साहू द्वारा तबला सोलो वादन तीनताल में प्रस्तुत किया गया जिसमें दिल्ली घराने के कायदे व फरुक्काबाद घराने की घरानेदार करामातें थीं। हारमोनियम संगत प्रवीण तिवारी द्वारा किया गया। सृजल महंत द्वारा राग तोड़ी प्रस्तुत किया गया। मारुति के द्वारा राग किरवानी में भजन गाया गया। जयंत कश्यप द्वारा राग दरबारी में भजन प्रस्तुति दी गई। श्रवण थवाईत द्वारा सावन की कजरी गाकर समा बांध दी। तबला सँगत तिजराज कश्यप द्वारा किया गया। अंत मे प्रवीण तिवारी द्वारा राग भैरवी में भजन माँ भैरवी भवतारिणी गाकर कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन मनोज तिवारी (महामन्त्री) द्वारा किया गया। इस अवसर पर किरण यादव, रामेश्वर कश्यप, रेशमलाल कश्यप, दुष्यंत साहू, आदि उपस्थित रहे।

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