आपदा प्रबंधन एवं बचाव विषय पर आधारित राज्य स्तरीय पुस्तक वेव्स ऑफ होप का लोकार्पण – शिक्षकों की सामूहिक रचना से जन्मी एक प्रेरणादायी कृति

जांजगीर फर्स्ट न्यूज। आपदा एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जिसके प्रभाव से समाज का हर वर्ग प्रभावित होता है। इसके बावजूद, आमजन में इससे बचाव की जानकारी और समझ सीमित रहती है। इसी विचार को केंद्र में रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के शिक्षकों के सामूहिक प्रयास से तैयार की गई ‘वेव्स ऑफ होप’ नामक राज्य स्तरीय पुस्तक का भव्य विमोचन रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में छत्तीसगढ़ शासन के आपदा प्रबंधन मंत्री माननीय टंक राम वर्मा द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मंत्री महोदय ने कहा कि वे स्वयं शिक्षक रह चुके हैं और इस प्रयास को अत्यंत सराहनीय मानते हैं। यह पुस्तक न केवल एक शैक्षणिक दस्तावेज है, बल्कि जनजागरूकता और सुरक्षा की दिशा में एक सशक्त कदम है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि शिक्षकों ने आपदा जैसे गंभीर विषय पर गहन चिंतन करते हुए एक मार्गदर्शक पुस्तक तैयार की है, जिससे विद्यार्थी और आम नागरिक दोनों लाभान्वित होंगे।
पुस्तक का संपादन कार्य शिक्षिका सुश्री के. शारदा ने किया है, जिनके नेतृत्व में यह अभिनव कार्य सफल हो सका। सह-संपादक धर्मानंद गोजे एवं पुस्तक प्रभारी शिक्षिका प्रीति शांडिल्य ने भी इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष बात यह रही कि राज्य के सभी जिलों के शिक्षकों को एकत्र कर एक साझा मंच पर लाकर इस पुस्तक को आकार दिया गया, जिसमें आपदा के विभिन्न पहलुओं को सरल, सुलभ और शिक्षाप्रद भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें प्रत्येक लेख के साथ क्यूआर कोड प्रदान किया गया है, जिसे स्कैन कर पाठक वीडियो एवं ऑडियो के माध्यम से संबंधित विषयवस्तु को देख और सुन सकते हैं। यह नवाचार दृष्टिबाधित व्यक्तियों और डिजिटल माध्यम से सीखने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।
इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के जैजैपुर विकासखंड के झालरौंदा विद्यालय से महेन्द्र कुमार चन्द्रा और चंचला चन्द्रा के साथ-साथ जिले के अन्य शिक्षकों जैसे कृष्णपाल राणा, संतोष कुमार पटेल, पुष्पेंद्र कुमार कश्यप, संतोष कुमार तारक, ज्योति बनाफर, श्वेता तिवारी, शांति लाल कश्यप, मधु तिवारी, रिंकल बग्गा, योगेश कुमार साहू, लक्ष्मण बाँधेकर, यशवंत कुमार पटेल, विनोद कुमार डडसेना, ममता सिंह, समीक्षा गायकवाड़, ब्रजेश्वरी रावटे, गुलजार बरेठ, रश्मि उर्मलिया, अनामिका वर्मा, पूनम चक्रवर्ती, शिवकुमार बंजारे, अमरदीप भोगल, डोलामणी साहू, समता सोनी, नंदा देशमुख, वसुंधरा गोजे, शुभम तिवारी, रामलाल केवट, सुप्रिया शर्मा, डॉ. गोपा शर्मा जैसे 35 से अधिक शिक्षकों ने अपने लेखन द्वारा अमूल्य योगदान दिया है।
इन सभी शिक्षकों की लेखनी में विषय की गंभीरता के साथ-साथ विद्यार्थियों के बोधगम्यता को भी ध्यान में रखा गया है। प्रत्येक लेख सरल भाषा में होते हुए भी विचारों की गहराई लिए हुए है, जिससे यह पुस्तक माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए भी सहज रूप से उपयोगी बन जाती है।
इस आयोजन में उपस्थित सभी शिक्षकों को सम्मानित किया गया और उनके प्रयासों को सराहा गया। यह पुस्तक न केवल शिक्षा जगत के लिए, बल्कि समस्त समाज के लिए एक जागरूकता अभियान के रूप में कार्य करेगी। यह पहल दर्शाती है कि यदि शिक्षक चाहें, तो वे केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि समाज में सुरक्षा, संवेदनशीलता और जागरूकता की लौ भी जला सकते हैं।