सक्ती

मान्यवर साहब कांशीराम को उनके 91वीं जयंती पर डड़ई में बहुजन समाज के लोगों ने किया याद

साहब कांशीराम की सीख पर आगे बढ़ते रहे तो एक दिन बहुजन समाज देश में हुक्मरान जरूर बनेगा – उदय मधुकर

सक्ती। आज देश भर में बहुजन समाज के लोग मान्यवर साहब कांशीराम जी को उनके 91वीं जयंती के मौके पर मिलकर उन्हें अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। सक्ती जिले में भी बहुजन समाज के लोग‌ बसपा संस्थापक मान्यवर साहब कांशीराम को याद कर रहे हैं। इसी क्रम में सक्ती विकासखंड के ग्राम डड़ई में 15 मार्च को बहुजन समाज के लोगों ने मान्यवर साहब के जीवन संघर्ष पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया।‌ इस संगोष्ठी में डड़ई गांव के बड़े बुजुर्गो सहित युवा व महिलाओं ने भाग लिया।‌ इस संगोष्ठी में इस संगोष्ठी में भाग लेते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार उदय मधुकर ने कहा मान्यवर साहब कांशीराम का जीवन संघर्ष हमें आत्मसम्मान व स्वाभिमान के साथ अपने हक अधिकारों के लिए प्रेरणा देता है। श्री मधुकर ने परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो हमें हर हाल में मान्यवर साहब के बताए मार्ग पर आगे बढ़ते रहना होगा। तभी फिर एक न एक दिन इस देश का बहुजन समाज हुक्मरान समाज भी जरूर बनेगा। इस अवसर पर डड़ई में आयोजित इस संगोष्ठी में उपस्थित ‌बहुजन समाज के लोगों ने मान्यवर साहब के बताए पदचिन्हों पर चलते हुए आगे बढ़ने तथा उनके अधूरे सपने साकार करने का संकल्प ‌भी‌ लिया।‌ विदित हो कि बामसेफ, डीएसफोर, तथा बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर साहब कांशीराम का जन्म आज से 91 साल पहले पंजाब के रोपड़ जिले के ख्वासपुर में 15 मार्च 1934 को हुआ‌ था।‌ साहब काशीराम ने ताउम्र बहुजन समाज बेहतरी के लिए कार्य किया। इसके लिए उन्होंने घर बार छोडा यहां तक की अविवाहित भी रहे। उन्होंने 1971 में बामसेफ और डीएसफोर गठन कर बहुजन समाज के लोगों में सामाजिक व राजनैतिक चेतना भी जगाई। वे यही नहीं रूके साहब कांशीराम ने 14 अप्रैल 1984 को बसपा की स्थापना भी किया जो अभी देश की तीसरी बड़ी राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। साहब कांशीराम 1991 में उत्तरप्रदेश के इटावा से तथा 1996 में पंजाब के होशियारपुर से लोकसभा के सदस्य भी रहे। वे 1998 से 2004 तक राज्य सभा के भी सदस्य रहे। 9 अक्टूबर 2006 को 71 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। उनके संघर्षों का ही नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश सहित देश के सबसे बड़े सूबे में बहुजन समाज पार्टी की चार-चार बार सरकार भी बनी थी। बसपा सुप्रीमो मायावती कांशीराम की ही शिष्या हैं।

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