दुनिया भर बगरत हे छत्तीसगढ़ी के सोर

सुनना भैरा – गोठिया कोंदा “कोंदा-भैरा के गोठ” – सुशील भोले
जांजगीर फर्स्ट न्यूज़। -छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कार्यालय के स्थापना दिवस कार्यक्रम म ए बछर कोरी भर अकन के पुरती छत्तीसगढ़ी किताब मन के विमोचन होइस हे काहत रिहिन हें जी भैरा.
-ठउका सुने हावस जी कोंदा.. अब छत्तीसगढ़ी भाखा म इहाँ के पारंपरिक विधा मन के संगे-संग आने भाखा मन के प्रचलित शैली अउ विधा मन म घलो लिखे जावत हे.
-हव जी महूं ल आरो जनाय हे.. काली के स्थापना दिवस कार्यक्रम के बेरा मोला चारों मुड़ा ले आए छत्तीसगढ़ी के मयारुक मन दर्जन भर के पुरती किताब भेंट करीन हें.. उन सबो ला देख-पढ़ के मोला गजब निक अउ गरब जनाइस.. सबले बड़का बात ए आय संगी के वो जम्मो किताब मन के विधा अउ विषय सब अलगेच-अलग रिहिसे.. उन सबो ल पढ़ के अब भरोसा जागत हे के छत्तीसगढ़ी म घलो आने समृद्ध भाखा मन बरोबर पढ़े, गुने अउ सहेजे के लाइक साहित्य आवत हे अउ आवत रइही.. एक दिन छत्तीसगढ़ी घलो पूरा दुनिया म पॉंखी लगा के अपन सोर बगराही.
-बगराही का.. बगरे के जोम बने माढ़गे हे.